दुनिया का सबसे शक्ति शाली जोड़ा भारत की मेजबानी पर 6 नव। को आ चूका हे ,मीडिया और प्रशासन पलक पांवड़े बिछा के आगवानी कर रहे हे | जेसा की इन्फोसिस के नारायण मूर्ति कह चुके हे की "''' वो हमारे मेहमान हे भाग्य विधता नहीं "''''?लेकिन चाहे परमाणु मसोदा हो ,पाकिस्तान के लिए स्कूली विद्यारथियो जेसी शिकायते हो ,और मेन चाइना से झूटी सची फटाई हो ,हमेशा वर्तमान शासन पर्शासन अमेरिका के सामने दंडवत लेटा रह्ता हें|इसी कर्म में ये ही हॉल ओबामा दम्पति के भारत आगमन पर दिखाई दे रहा हें |ओबामा के मुंबई कार्यकर्म में अमेरिका की सुरक्षा एजेंसियों ने उनके प्रोग्राम में शामिल रहने वालो से उनके पहचान पत्र साथ लाने के लिए कहा हें जिनमे मुख्य मंत्री ,उप मुख्य मंत्री शामिल हें ,इन्होने कड़ा एतराज जताया हें (अमेरिका को इन चोरो का विश्वास नहीं )|
अब आप देखिये सबसे हेरान कर देनी वाली बात की भारत दौर के दोरान कार्यकर्म न .4 में 7 नव .को ओबामा संसद सत्र को समबोधित करने के बाद बराक हुसेन ओबामा ....एक महान हस्ती ...के मकबरे दर्शन के लिए जा रहे जी हाँ और कोई नहीं एक महान कीटा बाज अफीमची और भगोड़े शासक हमायु के मकबरे पर साहब माथा टेकेंगे जेसे हमायु ने ने इस पवित्र धरा के लिए जेसे कोई बहुत बड़ी विरासत छोड़ी हो ?और देखिये अपने आई. एस.ओ 9001 पर्मानित मीडियाई भांड इसे मिली जुली संस्कर्ती का पर्तीक बता रहे हे ,और छीदे हुवे जा रहे हे ?
अब कोई सामान्य सा इतिहास का ज्ञान रखने वाला व्यक्ती भी बता सकता हे की एक गिरा हुवा कीटा बाज और दर दर का भिखारी शासक और उसका मकबरा केसे मिली जुली संस्कर्ती का पर्तीक हो गया ?
संदेसा साफ़ हे की केसे बराक हुसेन ओबमो को को मुस्लिमो का हितेषी बताया जाये ,जबकि उनके खिलाफ लखनऊ और भारत में अन्य स्थानों विभीन मुस्लिम संघटनों दुआरा पर्दर्शन किये जा रहे हे |ओबामा पर्शासन और भारतीय सेकुलर सरकार दुआरा ये प्री डिसाइड ड्रिल प्रोग्राम हे |ये मुस्लिम तुसटीकर्ण का एक और नया ही नमूना हे जिस पर ओबामा पर्शासन भी चल पड़ा हे ?एक गुलामी के पर्तीक को सहजे रखने में करोडो रूपये बहा देना और इतिहास की सच्चाई को बरगला कर उसे गोरंविंत करना किसी रास्ट्र के कर्म फूटने से कम नहीं और इसमें कोंग्रेस की छद्दम सेकुलर सरकारे बहुत ही माहिर हे |
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देर आयद दुरूस्त आयद ,
ReplyDeleteआपको मैंने ब्लाग बनाने का मशवरा बहुत पहले दिया था
ReplyDeleteआपका साथ आना अच्छा लगा और पोस्ट भी बुरी नहीं लगी
ReplyDeleteस्वागत
ReplyDeletedhanywad jamal ji
ReplyDeleteचश्मा लगाए हुए आप अच्छे लगे ।
ReplyDeleteकरकरे के हत्यारे कौन ?
ReplyDeleteभारत में आतंकवाद का असली चेहरा
यह उन शक्तियों के बारे में पता लगाती है जिनका महाराष्ट्र ए टी एस के प्रमुख हेमंत करकरे ने पर्दाफ़ाश करने की हिम्मत की और आख़िरकार अपने साहस, और सत्य के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की क़ीमत अपनी जान देकर चुकाई।
एक पुस्तक जो साफ़ तौर पर यह कहती है कि ये “ब्राह्मणवादियों” का “ब्राह्मणवादी आतंकवाद” है, इस्लामवादियों का “इस्लामी आतंकवाद” नहीं...
From the back Cover:
राज्य और राज्यविहीन तत्त्वों द्वारा राजनीतिक हिंसा या आतंकवाद का एक लम्बा इतिहास भारत में रहा है। इस आरोप ने कि भारतीय मुसलमान आतंकवाद में लिप्त हैं, 1990 के दशक के मध्य में हिंदुत्ववादी शक्तियों के उभार के साथ ज़ोर पकड़ा और केंद्र में भाजपा की सत्ता के ज़माने में राज्य की विचारधारा बन गया। यहाँ तक कि “सेक्यूलर” मीडिया ने सुरक्षा एजेंसियों के स्टेनोग्राफ़र की भूमिका अपना ली और मुसलमानों के आतंकवादी होने का विचार एक स्वीकृत तथ्य बन गया | हद यह कि बहुत-से मुसलमान भी इस झूठे प्रोपेगण्डे पर विश्वास करने लगे।
पूर्व वरिष्ठ पुलिस अधिकारी एस.एम. मुशरिफ़ ने, जिन्होंने तेलगी घोटाले का भंडाफोड़ किया था, इस प्रचार-परदे के पीछे नज़र डाली है, और इसके लिए सार्वजनिक क्षेत्र व अपने लम्बे पुलिस अनुभव से प्राप्त ज़्यादातर जानकारियों (शोध-सामग्री) का उपयोग किया है। उन्होंने कुछ चौंकाने वाले तथ्यों को उजागर किया है, और अपनी तरह का पहला उनका यह विश्लेषण तथाकथित “इस्लामी आतंकवाद” के पीछे वास्तविक तत्त्वों को बेनक़ाब करता है। ये वही शक्तियां हैं जिन्होंने महाराष्ट्र ए टी एस के प्रमुख हेमंत करकरे की हत्या की, जिसने उन्हें बेनक़ाब करने का साहस किया और अपनी हिम्मत व सत्य के लिए प्रतिबद्धता की क़ीमत अपनी जान देकर चुकाई।
यह पुस्तक भारत में “इस्लामी आतंकवाद” से जोड़ी गयीं कुछ बड़ी घटनाओं पर एक कड़ी नज़र डालती है और उन्हें आधारहीन पाती है।
About the author
एस.एम. मुशरिफ़ महाराष्ट्र के एक पूर्व आई जी पुलिस थे जो सबसे ज़्यादा अब्दुल करीम तेलगी फ़र्ज़ी स्टांप पेपर घोटाले को उजागर करने के लिए याद किये जाते हैं। वह 1975 में महाराष्ट्र के लोक सेवा आयोग द्वारा सीधे पुलिस उपाध्यक्ष नियुक्त किये गये थे; और 1981 में भारतीय पुलिस सेवा में ले लिए गए थे।
श्री मुशरिफ़ को वर्ष 1994 में सराहनीय सेवा के लिए “राष्ट्रपति पुलिस पदक” से सम्मानित किया गया था । शानदार सेवा के लिए उन्हें पुलिस महानिदेशक का प्रतीक चिह्न भी दिया गया और बेहतरीन कार्यप्रदर्शन के लिए सीनियर अधिकारियों की तरफ़ से उन्हें बहुत सराहा गया। अक्तूबर 2005 में उन्होंने रिटॉयरमेंट लिया। अब वह सूचना अधिकार अधिनियम, 2005 को लागू कराने, भ्रष्टाचार के ख़ात्मे, साम्प्रदायिक सौहार्द्र और किसानों व दलितों के कल्याण के लिए काम कर रहे हैं।
विषय-सूची / Table of Contents:
ReplyDeleteतीसरे अंग्रेज़ी संस्करण का प्राक्कथन
प्राक्कथन
1. हिन्दू-मुस्लिम दंगे
आम हिन्दुओं (बहुजन) को दबोचे रखने के लिए ब्राह्मणवादियों की रणनीति
2. नई चाल, नया जाल
साम्प्रदायिकता के बजाय “मुस्लिम-दहशतगर्दी” का हव्वा
3. बम विस्फोटों की जाँच
ब्राह्मणवादियों को बचाने और मुसलमानों के फंसाने के लिए आई बी की ग़ैर ज़रूरी और सोची-समझी दख़ल अन्दाज़ी
i) 2006 का मुंबई ट्रेन बम विस्फोट मामला (11 जुलाई 2006)
ii) मालेगांव बम विस्फोट मामला (8 सितम्बर 2006)
iii) अहमदाबाद बम विस्फोट और सूरत के बिना फटे बम (26 जुलाई 2008)
iv) दिल्ली बम विस्फोट 2008 (13 सितम्बर 2008)
v) समझौता एक्सप्रेस बम विस्फोट केस (19 फ़रवरी 2007)
vi) हैदराबाद मक्का मस्जिद विस्फोट (18 मई 2007)
vii) अजमेर शरीफ़ दरगाह विस्फोट (11 अक्तूबर 2007)
viii) उत्तर प्रदेश की अदालतों में श्रृंखलाबद्ध विस्फोटक (23 नवम्बर 2007)
ix) जयपुर धमाके (13 मई 2008)
4. नानदेड़ बम धमाका (5 अप्रैल 2006)
जिसका राज़ संयोग से फ़ाश हो गया
5. मालेगांव बम धमाका केस : 2008
(मुंबई पर हमले से पहले की जाँच)
मामले की ईमानदारी के साथ पहली यथार्थ जाँच, हेमंत करकरे ने राह दिखाई
6. करकरे के हत्यारे कौन ?
मुंबई पर आतंकी हमला एक वास्तविकता है लेकिन सी एस टी-कामा-
रंगभवन लेन प्रकरण पर रहस्य का पर्दा पड़ा हुआ है
भाग-1 आई बी और नौसेना ख़ुफ़िया निदेशालय के ब्राह्मणवादी तत्त्वों
ने अमेरिका और रॉ द्वारा दी गयी धमाकेदार ख़ुफ़िया जानकारी को जान-बूझकर रोक दिया
भाग-2 सी एस टी पर लगे 16 सीसीटीवी कैमरों के साथ छेड़छाड़ हुई थी
भाग-3 सी एस टी के “आतंकवादियों” ने उन सिम कार्डों का प्रयोग किया था जिनके तार सतारा से जुड़े हुए थे।
भाग-4 उन 284 फ़ोनों में से कसाब और ईस्माइल ख़ान के पास एक भी फ़ोन नहीं आया जिनपर वाइस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल टेक्नोलॉजी (वी ओ आई पी) का प्रयोग करके आतंकवादियों ने पाकिस्तान के
अपने आक़ाओं की कॉल रिसीव की थीं।
भाग-5 आतंकवादी धारा-प्रवाह मराठी बोल रहे थे
भाग-6 सी एस टी पर मारे गये 46 लोगों में से 22 मुसलमान थे
भाग-7 करकरे को फंदे में फंसाया गया
भाग-8 अजमल कसाब को भारतीय एजेंसियों द्वारा 2006 के पहले काठमांडू (नेपाल) में गिरफ़्तार किया गया था
भाग-9 अजमल कसाब की बहु-प्रचारित तस्वीर
भाग-10 एक महिला गवाह को पूछताछ और उसके बयान को दर्ज
करवाने के लिए जबरन अमेरिका ले जाया गया लेकिन वह अडिग रही
भाग-11 मुंबई अपराध शाखा की कहानी में झोल साफ़ नज़र आता है
ए) सी एस टी-कामा पर गोलीबारी का समय
बी) सी एस टी-कामा क्षेत्र पर आतंकवादियों की संख्या
सी) सी एस टी से आतंकवादियों का निकलना
डी) “स्कॉडा” थ्योरी
ई) गिरगांव चौपाटी मुठभेड़ में मारे गये आतंकवादियों की संख्या
मुंबई आतंकी हमले का एक वैकल्पिक दृष्टिकोण
1) विले पार्ले और वाडी बंदर पर टैक्सी धमाकों का राज़
2) ऑफ़िशियल सीक्रेट एक्ट के तहत एक मामला
3) प्रधान पैनल की रिपोर्ट को छिपाने के प्रति सरकार (पढ़ें आई बी) की चिंता रिपोर्ट के चुनिंदा हिस्सों का लीक होना गुमराह करने के लिए है
बाद की घटनाएं दृष्टिकोण की पुष्टि करती हैं
फिर से जाँच के लिए उपयुक्त मामला
7. मुंबई हमला केस की जाँच
आई बी और एफ बी आई असल जाँचकर्ता, मुंबई क्राइम ब्रांच महज़ एक कठपुतली
8. मालेगांव विस्फोट कांड 2008 (मुंबई हमले के बाद जाँच)
हेमंत करकरे की जाँच पर पानी फेरना
असल षडयंत्रकारी का चेला ही जाँच टीम का प्रमुख बना
अनेक भयंकर कोताहियां और कारगुज़ारियां
9. महाराष्ट्र के ब्राह्मणों की संदिग्ध भूमिका
10. आई बी के ख़िलाफ़ चार्ज शीट
11. देश व समाज को बचाने के लिए तुरन्त उपाय ज़रूरी
संलग्नक अ
संलग्नक ब
नक़्शा : उस स्थान का चित्र जहां पर प्रमुख आतंकवादी हमला हुआ और हेमंत करकरे की हत्या हुई
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kasab ke khilaf bhartiya muslim samaj kyon aage nahi aata usase kya hamdardi hai
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