जेसा की सभी जानते हे की विश्व में सभी समुदायों ,सम्प्रदायों और धर्मो की अलग अलग पहचान ,अलग रीति रिवाज ,अलग तोर तरीके रहे हे और रहेंगे |हिन्दू धर्म को छोड़ कर सभी धर्मो ने विश्व में अपने अपने धर्म को सर्वश्रेष्ठ साबित करने और उसके अधिक से अधिक अनुयायी बनाने के लिए मानवता का रक्त बहाने से ले कर सभी तोर तरीके अपनाये हे |हिन्दू धर्म अपनी उदारता , और नेकनीयती ,वासुदेव कुटुंबकम्ब के कारण मानवता की सेवा में आज तक अडिग हे और रहा हे |
वर्तमान में भारत में रहने वाले विभिन्न समुदायों और समाजो पर सरसरी नजर डालने पर पाएंगे की भारत सभी धर्मो और मन्य्तावो के लिए एक आदर्श भूमि हे |सभी को यंहा पनपने का और एक सीमा में रह कर अपने धर्मो और विचारो के प्रचार प्रसार के लिए अनुमती हे ,बशर्ते की उनके विचार और प्रचार से रास्ट्र और दुसरे धर्म समुदायों के नुकसान दायक ना हो |
ये आदर्श स्थिति रास्ट्र की एक बहुत अच्छी तस्वीर विश्व में प्रस्तुत करती हे |लेकिन यदि गोर से अध्यन किया जाये तो ये तस्वीर बिलकुल उल्ट , चिंताजनक और गंभीर दिखाई पडती हे |आम तोर पर हमेशा ये होता हे की अल्पसंख्यक समुदाय (जो की भारत में कत्रिम रूप से बनाया गया एक समुदाय हे )को बहुसंख्यक समुदाय से हमेशा खतरा महसूस होता हे |लेकिन असल में खतरा अल्पसंख्यक समुदाय से यंहा बहुसंख्यक समुदाय को हो रहा हे अपना अस्तित्व और पहचान मिटाए जाने की हद तक !!कभी कभी विराटता को शुद्र्ता से इतना घातक झटका लगता हे की जब तक कुछ समझ में आता हे बाजी हाथ से निकल चुकी होती हे और वो पहचान अपने अस्तित्व के लिए अन्तिम सांसे गिन रही होती हे !!इसका संक्रमन सब कुछ खत्म कर देता हे |अरबी जाहिल आक्रंतावो के लिए इस्लाम एक धर्म ना हो के खुनी साम्रज्यवाद था ,और अपने सात सो सालो के इतिहास में हिंदुवो और धर्म संस्कृति का ज्यादा कुछ नहीं बिगाड़ पाए थे ,बाद में अंग्रेज आये उनका इतर उदेश्य अलग था ,लेकिन ईसाई मिशनरियों के साथ उनकी हमदर्दी थी |
वर्तमान में विभिन्न प्रकार के जिहाद भारतीय समाज में संक्रमन के लिए चल रहे हे ,चर्चा में भी हे इनका उद्देश्य येन केन हिन्दू धर्म समज को दूषित करना हे .तोडना हे हीन भावना भरनी हे |इसी के फलादेश स्वरूप आप ने देखा होगा की अधिकतर हिन्दू लडकियों स्त्रियों को मुस्लिम और ईसाईयो दुआरा अपनी छद्दम पत्नी या प्रेयसी बनाया जाता हे |इनके इस एक तीर से कई शिकार हो जाते हे ,विधर्मी अपनी कूवासना तो शांत कर ही लेते हे ,बल्की उस लडकी का परिवार bhi दूषित हो जाता हे ,या तो वो अपने आप खुद को हिन्दू समाज से अलग कर लेते हे या हिन्दू समाज उन्हें खुद अलग कर देता हे |इस प्रकार जिहादी हिन्दू इकाई से परिवार ,परिवार से समाज और समज से रास्ट्र तोड़ने का काम बखूबी कर रहे हे|इस से भी घातक और खतरनाक स्थिति तब आती हे जब हिन्दू स्त्री या लड़की और विधर्मी मलेच्छ पुरुष के दुआरा जो सन्तान भारतीय समाज के लिए इतनी घातक और खतरनाक होती हे की जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती हे ,क्योकि मुस्लिम पिता और हिन्दू माता की संतानों में एक अजीब सी विचारधारा और घातक द्र्स्टीकोण रास्ट्र समाज के लिए पैदा हो जाता हे |
यदि हम बायोलोजिकल के बोट्निक्ल सिदांत की अति सरल व्याख्या करेंगे तो भी यह स्थिति और स्पष्ट हो जाएगी |आज कल विभिन्न तरह की फल सब्जियों की नस्ल को क्रोस कर कर के विभिन्न प्रकार की नयी नयी किस्मे पैदा की जा रही हे जो की बारह मास हरी भरी रहती हे ,यकीन जब गुणवता की बात आती हे तो ""सारा गुड गोबर हो जाता हे और याद करते ही मूह का स्वाद कसेला हो जाता हे |इसी प्रकार ये क्रोस हो कर पैदा किये हुवे हिन्दू माता और मुस्लिम विधर्मी पिता की वर्ण संकर संताने होती हे |ये रक्त संक्रमित और सकृतिक संक्रमित संताने विभिन्न प्रकार की कूधारनवो की उपज होती हे |क्योकि जब इनका विधर्मी पिता जब इनकी माँ के गर्भ में इनका बीज पटक रहा होता हे तो उसे पता होता हे की में में इस लड़की या इस स्त्री के साथ धोखा कर रहा हूँ .तो आप सोच ही सकते हे की उस की मानस संताने किस नस्ल और मानसिकता वाली पैदा होंगी ?
इन वर्ण संकर संतानों को आजादी के पहले बड़ी ही हेय द्र्स्टी से देखा जाता था !!लेकिन आजादी के बाद नेहरु गाँधी खानदान ने इन्हें इज्जत बख्शने का बीड़ा उठाया और इस परिवार ने इन्हें अंग्रेजी का बड़ा ही इज्जतदार तमगा दिया ""सेकुलर ""हिंदी में धर्मनिरपेक्ष ?!!क्योकि नेहरु गाँधी खानदान स्वयम विभिन्न गंदी और सूगली जाती सम्प्रदायों का ""गन्दा बीलोना "" हे !!!पैदा होते ही अपने को अलग ही वातावरण और माहोल में पा कर इन पैदा हुयी मानस सेकुलर संतानों का सबसे पहला उद्देश्य होता हे हिन्दू समाज और हिन्दू धर्म को गरियाना क्योकि में पहले ही लिख चूका हूँ की इनकी माँ के गर्भ में इनका बीज पटकते समय ही इनके बाप का पहला उद्देश्य ये ही होता हे और रती क्रिया के समय भी वो ये ही मन्त्र बोला करता हे की केसे हिन्दू धर्म और हिन्दू समाज को गरियाया जाये ?ये बड़ी शराफत से सेकुलरता का चोला ओढ़ कर मानवाधिकार करते करते हिन्दू धर्म समाज की खिलाफत करते हे ,जबकि इनके लिए मानवाधिकार का उल्लघंन सिर्फ और सिर्फ हिन्दू ही करते हे क्योकि ये वर्ण संकर सेकुलर अपने पितृ पक्ष के धर्म के प्रती छुपे हुवे मजबूत रहते हे और उसके विस्तार के लिए जो हो सके वो करते हे |इनके बाप जो की अपनी धार्मिक कट्टरता कभी नहीं छोड़ते हे जरूरत पड़ने पर अपनी रखेल जेसी पत्नी को छोड़ देते हे और जरूरत पड़ने पर बेच भी देते हे !!इनकी मानस सेकुलर संतानों का सबसे बड़ा हतियार ""सेकुलरता होती हे जिसे ये आम और भोले भले हिंदुवो को आसानी से बहका देते हे और वो धोखे में आ जाता हे |इसी सेकुलरता का फायदा उठा कर ये हिन्दू समाज और परिवारों में पेठ जमा लेते हे और अपनी वर्ण संकरता की गन्दगी वंहा भी फेला देते हे ,क्योकि वेदेशी चन्दो और भीख से पोषित इनकी ठाठ बाट की जिन्दगी को आम हिन्दू आधुनिकता की निशानी मान कर भ्रम में आ जाता हे और हिन्दू लडकियों को ये आसानी से शिकार बना लेते हे |एक कड़ी बेल का ""तूम्बा ""मीठे तूम्बूवो में जा कर मीठा हो जाता हे ,लेकिन ये वर्ण संकर इंसानी ""तूम्बे ""अकेले सो सूधार्मिक इंसानों को सेकुलर बना देते हे क्योकि घातक संकरमन्ता के वायरस जल्दी फैलते हे ये बात विज्ञानं भी मानता हे |पिछले साठ सालो से ये प्रचारित किया गया हे आप सेकुलर नहीं हो तो पिछड़ेपन की निशानी हे ?
यंहा वंहा संकरमण फेलाते ये वर्ण संकर सेकुलर तूम्बे हिन्दू समाज और रास्त्र के लिए भुत ही घातक हे ये और घातक साबित ना हो जाये इस लिए इनकी पोल खोलना भुत जरूरी हे |क्योकि सेकुलरता एक निरपेक्ष स्थिति ना हो कर एक गाली हे |क्या कोई सूधार्मिक धर्म सापेक्ष व्यक्ती क्रोस कर के पैदा हुवा कहलाना पसंद करेगा क्या ?और जो क्रोस होकर ही पैदा हुवा वर्ण संकर हे और इस धरती पर एक शाप के रूप में आ ही चूका होता हे तो उसकी तो मजबूरी हो ही जाती हे की केसे दुष्प्रचार और झूट से अपनी स्थिति मजबूत की जाये ?क्योकि इसके सीवा उसके पास कोई चारा भी नहीं होता हे |क्या इस पवित्र धरा पर एक हिन्दू धर्म निरपेक्ष होकर जीवन जी सकता हे ?
उतर _कभी नहीं क्योकि हिंदुत्व एक सिर्फ धर्म ना होकर एक सम्पूर्ण जीवन पद्दति हे |
वन्देमातरम
वर्तमान में भारत में रहने वाले विभिन्न समुदायों और समाजो पर सरसरी नजर डालने पर पाएंगे की भारत सभी धर्मो और मन्य्तावो के लिए एक आदर्श भूमि हे |सभी को यंहा पनपने का और एक सीमा में रह कर अपने धर्मो और विचारो के प्रचार प्रसार के लिए अनुमती हे ,बशर्ते की उनके विचार और प्रचार से रास्ट्र और दुसरे धर्म समुदायों के नुकसान दायक ना हो |
ये आदर्श स्थिति रास्ट्र की एक बहुत अच्छी तस्वीर विश्व में प्रस्तुत करती हे |लेकिन यदि गोर से अध्यन किया जाये तो ये तस्वीर बिलकुल उल्ट , चिंताजनक और गंभीर दिखाई पडती हे |आम तोर पर हमेशा ये होता हे की अल्पसंख्यक समुदाय (जो की भारत में कत्रिम रूप से बनाया गया एक समुदाय हे )को बहुसंख्यक समुदाय से हमेशा खतरा महसूस होता हे |लेकिन असल में खतरा अल्पसंख्यक समुदाय से यंहा बहुसंख्यक समुदाय को हो रहा हे अपना अस्तित्व और पहचान मिटाए जाने की हद तक !!कभी कभी विराटता को शुद्र्ता से इतना घातक झटका लगता हे की जब तक कुछ समझ में आता हे बाजी हाथ से निकल चुकी होती हे और वो पहचान अपने अस्तित्व के लिए अन्तिम सांसे गिन रही होती हे !!इसका संक्रमन सब कुछ खत्म कर देता हे |अरबी जाहिल आक्रंतावो के लिए इस्लाम एक धर्म ना हो के खुनी साम्रज्यवाद था ,और अपने सात सो सालो के इतिहास में हिंदुवो और धर्म संस्कृति का ज्यादा कुछ नहीं बिगाड़ पाए थे ,बाद में अंग्रेज आये उनका इतर उदेश्य अलग था ,लेकिन ईसाई मिशनरियों के साथ उनकी हमदर्दी थी |
वर्तमान में विभिन्न प्रकार के जिहाद भारतीय समाज में संक्रमन के लिए चल रहे हे ,चर्चा में भी हे इनका उद्देश्य येन केन हिन्दू धर्म समज को दूषित करना हे .तोडना हे हीन भावना भरनी हे |इसी के फलादेश स्वरूप आप ने देखा होगा की अधिकतर हिन्दू लडकियों स्त्रियों को मुस्लिम और ईसाईयो दुआरा अपनी छद्दम पत्नी या प्रेयसी बनाया जाता हे |इनके इस एक तीर से कई शिकार हो जाते हे ,विधर्मी अपनी कूवासना तो शांत कर ही लेते हे ,बल्की उस लडकी का परिवार bhi दूषित हो जाता हे ,या तो वो अपने आप खुद को हिन्दू समाज से अलग कर लेते हे या हिन्दू समाज उन्हें खुद अलग कर देता हे |इस प्रकार जिहादी हिन्दू इकाई से परिवार ,परिवार से समाज और समज से रास्ट्र तोड़ने का काम बखूबी कर रहे हे|इस से भी घातक और खतरनाक स्थिति तब आती हे जब हिन्दू स्त्री या लड़की और विधर्मी मलेच्छ पुरुष के दुआरा जो सन्तान भारतीय समाज के लिए इतनी घातक और खतरनाक होती हे की जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती हे ,क्योकि मुस्लिम पिता और हिन्दू माता की संतानों में एक अजीब सी विचारधारा और घातक द्र्स्टीकोण रास्ट्र समाज के लिए पैदा हो जाता हे |
यदि हम बायोलोजिकल के बोट्निक्ल सिदांत की अति सरल व्याख्या करेंगे तो भी यह स्थिति और स्पष्ट हो जाएगी |आज कल विभिन्न तरह की फल सब्जियों की नस्ल को क्रोस कर कर के विभिन्न प्रकार की नयी नयी किस्मे पैदा की जा रही हे जो की बारह मास हरी भरी रहती हे ,यकीन जब गुणवता की बात आती हे तो ""सारा गुड गोबर हो जाता हे और याद करते ही मूह का स्वाद कसेला हो जाता हे |इसी प्रकार ये क्रोस हो कर पैदा किये हुवे हिन्दू माता और मुस्लिम विधर्मी पिता की वर्ण संकर संताने होती हे |ये रक्त संक्रमित और सकृतिक संक्रमित संताने विभिन्न प्रकार की कूधारनवो की उपज होती हे |क्योकि जब इनका विधर्मी पिता जब इनकी माँ के गर्भ में इनका बीज पटक रहा होता हे तो उसे पता होता हे की में में इस लड़की या इस स्त्री के साथ धोखा कर रहा हूँ .तो आप सोच ही सकते हे की उस की मानस संताने किस नस्ल और मानसिकता वाली पैदा होंगी ?
इन वर्ण संकर संतानों को आजादी के पहले बड़ी ही हेय द्र्स्टी से देखा जाता था !!लेकिन आजादी के बाद नेहरु गाँधी खानदान ने इन्हें इज्जत बख्शने का बीड़ा उठाया और इस परिवार ने इन्हें अंग्रेजी का बड़ा ही इज्जतदार तमगा दिया ""सेकुलर ""हिंदी में धर्मनिरपेक्ष ?!!क्योकि नेहरु गाँधी खानदान स्वयम विभिन्न गंदी और सूगली जाती सम्प्रदायों का ""गन्दा बीलोना "" हे !!!पैदा होते ही अपने को अलग ही वातावरण और माहोल में पा कर इन पैदा हुयी मानस सेकुलर संतानों का सबसे पहला उद्देश्य होता हे हिन्दू समाज और हिन्दू धर्म को गरियाना क्योकि में पहले ही लिख चूका हूँ की इनकी माँ के गर्भ में इनका बीज पटकते समय ही इनके बाप का पहला उद्देश्य ये ही होता हे और रती क्रिया के समय भी वो ये ही मन्त्र बोला करता हे की केसे हिन्दू धर्म और हिन्दू समाज को गरियाया जाये ?ये बड़ी शराफत से सेकुलरता का चोला ओढ़ कर मानवाधिकार करते करते हिन्दू धर्म समाज की खिलाफत करते हे ,जबकि इनके लिए मानवाधिकार का उल्लघंन सिर्फ और सिर्फ हिन्दू ही करते हे क्योकि ये वर्ण संकर सेकुलर अपने पितृ पक्ष के धर्म के प्रती छुपे हुवे मजबूत रहते हे और उसके विस्तार के लिए जो हो सके वो करते हे |इनके बाप जो की अपनी धार्मिक कट्टरता कभी नहीं छोड़ते हे जरूरत पड़ने पर अपनी रखेल जेसी पत्नी को छोड़ देते हे और जरूरत पड़ने पर बेच भी देते हे !!इनकी मानस सेकुलर संतानों का सबसे बड़ा हतियार ""सेकुलरता होती हे जिसे ये आम और भोले भले हिंदुवो को आसानी से बहका देते हे और वो धोखे में आ जाता हे |इसी सेकुलरता का फायदा उठा कर ये हिन्दू समाज और परिवारों में पेठ जमा लेते हे और अपनी वर्ण संकरता की गन्दगी वंहा भी फेला देते हे ,क्योकि वेदेशी चन्दो और भीख से पोषित इनकी ठाठ बाट की जिन्दगी को आम हिन्दू आधुनिकता की निशानी मान कर भ्रम में आ जाता हे और हिन्दू लडकियों को ये आसानी से शिकार बना लेते हे |एक कड़ी बेल का ""तूम्बा ""मीठे तूम्बूवो में जा कर मीठा हो जाता हे ,लेकिन ये वर्ण संकर इंसानी ""तूम्बे ""अकेले सो सूधार्मिक इंसानों को सेकुलर बना देते हे क्योकि घातक संकरमन्ता के वायरस जल्दी फैलते हे ये बात विज्ञानं भी मानता हे |पिछले साठ सालो से ये प्रचारित किया गया हे आप सेकुलर नहीं हो तो पिछड़ेपन की निशानी हे ?
यंहा वंहा संकरमण फेलाते ये वर्ण संकर सेकुलर तूम्बे हिन्दू समाज और रास्त्र के लिए भुत ही घातक हे ये और घातक साबित ना हो जाये इस लिए इनकी पोल खोलना भुत जरूरी हे |क्योकि सेकुलरता एक निरपेक्ष स्थिति ना हो कर एक गाली हे |क्या कोई सूधार्मिक धर्म सापेक्ष व्यक्ती क्रोस कर के पैदा हुवा कहलाना पसंद करेगा क्या ?और जो क्रोस होकर ही पैदा हुवा वर्ण संकर हे और इस धरती पर एक शाप के रूप में आ ही चूका होता हे तो उसकी तो मजबूरी हो ही जाती हे की केसे दुष्प्रचार और झूट से अपनी स्थिति मजबूत की जाये ?क्योकि इसके सीवा उसके पास कोई चारा भी नहीं होता हे |क्या इस पवित्र धरा पर एक हिन्दू धर्म निरपेक्ष होकर जीवन जी सकता हे ?
उतर _कभी नहीं क्योकि हिंदुत्व एक सिर्फ धर्म ना होकर एक सम्पूर्ण जीवन पद्दति हे |
वन्देमातरम
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