Wednesday, October 19, 2011
क्यों ना ऐसे लोगो का मूह काला करके गधे पर बिठा के घुमाया जाये ?
इन दिनों विश्व में किसी भी स्थान को छोड़ के केवल भारत में ही अभिव्यक्ति की आजादी और निजी विचारो के नाम पर उलटिया करने का दोर शुरू हो गया हे |ये उलटिया वो ही ""नस्ल बिगाड़ "कर रहे हे जिन्हें विदेशी भीख हजम नहीं हो रही हे |केंद्र सरकार से अभयदान पा कर अपने विदेशी आकावो की पलना में ये ""नस्ल बिगाड़ "" इसी तथाकथित आजादी के नाम पर गंदगी उगल रहे हे |पिछले दो सालो में इन सेकुलर गुर्गो और जोकरों के पेट मरोड़ कुछ ज्यादा ही उठ रही हे ,क्योकि जितनी ज्यादा ये गुर्गे हिन्दू धर्म ,अस्मिता ,रास्ट्र की सुरक्षा ,एकता के खिलाफ जितनी गंदगी उगलेंगे उसी अनुपात में इनकी विदेशी भीख बढना तय हे |
तथाकथित आधुनिक इन ""नस्ल बिगाड़ो "को खाद पानी जे.एन.एल.यु.और देल्ही यूनिवर्सिटी जेसे वामपंथी कारखानों से मिलती हे |जंहा ये गुर्गे दलितवाद ,दलित उत्थान और पिछड़ा वर्ग के नाम गिरोह तेयार करके अपनी दूकान चलते हे और विदेशी आकावो से नम्बर बढ़वाते हे |इन्ही वादों का सहारा लेकर उसकी आड़ में धर्म परिवर्तन करवाते हे |इसमें इनका प्रमुख हथियार हिन्दू धर्म को गरियाना ,उसकी मनचाही व्याख्या करना और उसके महापुरुषों का चारित्रिक कुरुपण करना हे |
ताजाघटना क्रम देल्ही युनिवरसिटी के कोर्स में पिछले दो सालो चलित ऐ.के रामानुज दुआरा लिखित ""रामायण पर लिखे गये एक विवादास्पद निबंध को कोंसिल के दुआरा हटा दिया गया हे |इस पर वंहा के इतिहास के कुछ "'नस्ल बिगाड़ "'बुधिजीवियो ने विवाद खड़ा कर दिया हे |इस निबंध में सीताजी को रावण की बेटी बताया गया हे,और सीता जी को राम की बहिन तक बता दिया गया हे |वंही हनुमान जी के चरित्र पर लांछन लगते हुवे उन्हें स्त्री रसिक और महिला प्रेमी तक बता दिया गया हे |इसे घोर कुकृत्य को जायज ठहराते हुवे पिछले दो सालो में नजाने कितने विद्यार्थीयो को इस तरह की गंदगी की घूंटी दी गयी हे ?
समकालीन इतिहास विभाग के एक प्रोफेसर आदित्य मुखर्जी का कहना हे की इस निबंध को हटाना बेबुनियाद हे रामायण को ले कर कई तथ्य हे |डी.यू.का डेमोक्रेटिक टीचर फोरम जो की ईसाई संस्था दुआरा संचालित हे उसने भी इस निबंध को हटाने का विरोध किया |वामपंथी विचारधारा से प्रेरित दो छात्र संघटन्न - स्टुडेंट्स फेडरेशन आँफ इडिया और आल इण्डिया स्टुडेंट्स फोरम भी इस निबन्ध के हटाने के विरोध में उतर आया हे और इसे वापस शामिल करने की मुहीम छेड़ने जा रहा हे |
क्या ये किसी भी हिन्दू धर्म से सम्बन्धित व्यक्ती को सन्न कर देने के लिए काफी नहीं हे की किस भोंडे रूप में इन ""नस्ल बिगाड़ "'कारखानों में हिन्दू धर्म और रास्ट्र का स्वरूप विकृत किया जा रहा हे |क्या सोच सकते हे की किसी अन्य धर्म के बारे में इस तरह की गंदी बाते लिख भी डी जाती तो केसे इन लोगो की अंतड़िया निकाल लीजाती ?याद कीजिये अभी छह महीने पहले केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के पाठ्यक्रम में मोहमद का चित्र किसी लेखक के पाठ में छाप दिया गया था ,केसे सुबह तो मिडिया में खबर आयी और दोपहर होते होते उसे हटा दिया गया |
क्या सहिष्णुता का यह मतलब निकला जाये की करोड़ो लोगो की आस्था को कुछ लोग अपनी अभ्व्यक्ति की स्वतन्त्रता और निजी राय की मनचाही व्याख्या के रूप में एक विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में भी शामिल कर ले और उलटे सीधे तर्क दे कर उसे सही ठहराने की कोशीश भी करे |यदि वो सीमा लांघे तो सहनशीलता एक हद तक ही अच्छी रहती हे ,फिर ये आजादी अगर सीमा लांघे तो क्या सामने वालो को आजादी नहीं की इसे लोगो को मोका पड़ने पर मूह काला करके गधे बिठा के घुमाया जाये ?कानून का तो इसे ""नस्ल बिगाड़ "'लोगो को डर तो रहता नहीं हे क्योकि इन लोगो की माई बाप सरकार अभी केंद्र में बेठी हे |अभी लोगो की जगह जगह आरतिया उतारी गयी हे धन्यवाद ऐसे हिम्मत वाले वीरो को जिन्होंने हिम्मत करके इन्हें सबक सीखने की जहमत उठाई हे |
वन्देमातरम
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Very well written !
ReplyDeletedidi utsah badhane ke liye aap ka dhnyvaad
ReplyDeleteBahut sahi.........
ReplyDeleteinko vastv me gadhe per hi bethana chahiye
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