Friday, December 31, 2010

जड़ो की और लोटता भारतीय सामान्य समाज

ये लिखते हुवे सुकून और हर्ष हो रहा की इस अंग्रेजी नववर्ष के हिन्जडाई और फूहड़ अंत पर और उस से पहले के दो चार दिनों में ने तो मेने किसी शुभ कामनाये आगे हो के दी और ना ही मेरे पास कोई ज्यादा आयी |हाँ किसी ने दी तो विश कर दिया |ना मीडिया में , ना शहरो में ऐसा माहोल दिखा की नया साल किसी होटल या रेस्तरो में जा के नहीं मनायंगे तो साल भर घुटनों में माथा घाल के बेठे रहेंगे |ये परिवर्तित स्थिति भारतीय समाज के वापस जड़ो की और लोटते हुवे परिदर्श्य की की हे |आज के दो तीन साल पहले इस काम चलाऊ काम काजी नए साल के बहाने सामान्य भारतीय हुडदंग बाजी ,वाइन व् मीट पार्टिया ,और वेश्यावर्ती हुवा करती थी उस में बिलकुल कमी आई हे इस साल |
धन्यवाद हे केंद्र की यु. पी. सरकार का भी जिसने सामान्य समाज की कमर इस तरह तोड़ी हे की वो किसी इस प्रकार की बदमाशी के लायक ही ना रहे |ये एक कारण हो सकता हे लेकिन मुख्य तथ्य भारतीय अधिकतर समान्य युवा अपनी हिन्दू सन्सक्रती की और लोट रहा हे |आज सोसिअल नेटवर्किंग साइटों पर अधिकतर युवा प्रोफाइलो को देख के आशा जगती हे की युवा वर्ग अपनी संसकर्तिक और रास्ट्रीय पहचान की और लोट रहा हे| ये स्थिति इतनी तेजी से बदलेगी की कोई भी अनुमान नहीं लगा पायेगा |आपको पता हो इस दशक के शुरूआती दोर से थोडा पहले से शादी ब्य्यावो में गिद्द पद्दति "'खड़े खाने"' का सिस्टम शुरू हुआ था धीरे धीरे गाँव खेडो वालो ने भी इस तरह की चोंचले बाजी शुरू कर दी थी ,इन एक दो सालो में हम उसका गिद्द पद्दति का हश्र हम देख रहे हे ?आज कल पुन पंगत और बाजोट सिस्टम चल पड़े हे |ये हाल काम चलाऊ अंग्रेजी नए साल के जश्न का था उस समय ,लेकिन इस साल सामान्य भारतीय समाज ने इस फूहड़पन को नकारने की शुरुआत कर दी हे हाँ दो नम्बरी और दलाल टाइप और भ्रसटाखोरो जेसे अंध पेसे वाले लोगो को तो इस दिन केवल नग्न नर्त्य खुल के करने का मोका मिल जाता हे |
अंग्रेजी साल केवल हमें सामान्य कामकाज में व्यवस्थित कर सकती हे ,लेकिन हमारी संसक्रती नहीं बन सकती ,हमारी सामाजिक धार्मिक रीती रिवाजो ,संस्कारो की वाहक नहीं बन सकती |ज्यादा से ज्यादा महीने का दूध के हिसाब किताब रखने से सहायक ज्यादा कुछ नहीं और सरकार का मार्च में बजट बनाने में ?ये रितुवो के हिसाब से भी तर्क संगत नहीं कोई भी तीज त्यौहार का इसमें भी इसमें कोई मतलब नहीं |ये अंग्रेजी साल सभ्यताए बना सकता हे संस्कर्तिया नहीं जबकि भारतीय विक्र समन्वत सभ्यता और संस्क्रती दोनों का वाहक हे सेकड़ो नही हजारो वर्षो से |
फिर क्यों पिछले दो दशको से पश्चीम के मोतिया बिन्द गर्सित हो के २५ दिसम्बर से ही टेटाने लगे और ३१ इस्म्बेर की रात हिस्टीरिया के रोगी बन जाते |पिछले साल हमारे अजमेर में एक शख्स को अंग्रेजी नए साल का ऐसा दोरा पड़ा की अपने स्क्टूर को शहर की सडको पे न्डंग धडंग ही दोडा दिया और काफी देर तक दोड़ता रहा ,शहर पुलिस ने बड़ी मुश्किल से काबू किया |अपना नव वर्ष चेत्र शुक्ल की एकम का होता हे जब माँ भवानी जगदम्बे की स्थापना की जाती हे और बड़े ही उल्लासित वातावरण में नए साल का शुभारम्भ होता हे |
वन्देमातरम

Wednesday, December 29, 2010

इमानदार मजबूर गुलाम और मजबूत मालकिन

ऐसा लिखना तो नहीं चाहिए लेकिन आपको पता हो तो जवान बछड़े को क्रषी कार्य में जोतने से पहले "'भादी"'(श्याणा ) किया जाता हे उसके बाद वो बेल कहलाता हे ,फिर उसका मालिक उम्र भर उसे भाता(काम में लेना) रह्ता हे |भादी इस लिए किया जाता हे की वो सांड की जेसे बदमाशी ना कर सके और चुपचाप गुलामी दल दल में अपने खुराए गला दे ,अब भादी किस तरह किया जाता हे ये सभी जानते यंहा वर्णन उचित नहीं ?



कुछ इस तरह की स्थिति ७ साल पहले विशव के सबसे बड़े लोकतंत्र के सबसे शक्तिशाली पद पर आसमानी पेराट्रूपर देवता की तरह टपकाए गए हमारे "'प्रधान " मंत्री मनमोहन सिंह की हे ,बिना कोई चुनाव जीते |अब ये जन्मजात भादी हे या बाद में किये गए इसके बारे में कोई कुछ नहीं कह सकता हे |26 September १९३२ में जन्मे डॉ मान मोहन सिंह को भी उम्मीद नहीं थी की रास्ट्र के इस सबसे शक्ति शाली लेकिन वर्तमानिक गुलामाई पद की जिमेदारी ७ वे परधान मंत्री के में २२ मई २००४ को लेनी पड़ेगी |९१९१ में पी.वी नरसिम्हा राव की सरकार में एक कुशल वितमंत्री एंव आर्थिक उदारी करण के अग्रणी एक दिन जूडे में जूत के भर्स्ट एवं बेईमान मंत्रिमंडल का बोझ एक श्याने बैल की तरह चुपचाप बहते जायेंगे किसी ने भी नहीं सोचा होगा ?त्याग मूर्ती के हाई वोल्टेज ड्रामे के बाद सवेधानिक व् व्यहवार में रास्ट्र के सबसे शक्तिशाली पद को मनमोहन सिंह को सोप के जिस प्रकार पंगु बनाया वेसा उदाहरन स्वतंत्र भारत के इतिहास में कभी नहीं हुआ |

तथा कथित त्याग मूर्ती ने बड़ी चतुराई से पासा फेंकते हुवे वो खेल खेला जिस से भारत की भोली जनता झासे में गयी और भांड मीडिया भी शहनाई नंगाड़े ले कर बेठ गया दस जनपथ के बाहर | त्यागमूर्ती ने यु.पी. अध्य्कस्ता पर कब्ज़ा बरकरार रखते हुवे श्याणे मन जी के लिए चाबुक अपने हाथ में रखा |एक तो सत्ता की जिम्मेद्दारी और आरोप प्रत्यारोपो से मुप्त लेकिन अधिकार ऐसे की इनकी अनुमति बिना पत्ता भी ना खड़क सके |क्या शानदार राजनेतिक चाल ?मन मोहन सिंह ९१९१ से पहले इकोनोमिक फॉर्म के अध्यक्स बतोर अछा काम किया था वो परदे के पीछे के चुपचाप रहकर काम करने वालो में से थे ,तो क्या बला आन पडी थी की पर्वण मुखर्जी जेसे वरिष्ठ घाघ नेता के रहते हुवे त्यागमूर्ति को इन मोहदय को इतने बड़े jइमेदारी sopi ?सीधी सी बात हे इन्हें देश के लिए प्रधान मंत्री थोड़े ही चाहिए था एक श्याणा बैल चाहिए था जो केवल बहता रहे और संटर खाता रहे |

यु.पी. की दूसरी पारी में तो हद ही हो गयी जब बाबूजी की नाक के नीचे हजारो खरबों जीम लिए गए लेकिन उफ़ तक ना निकली बल्कि कमर तोडू मंहगाई पर उनके मंत्री बेशर्मी और नंगई पे उतर आये तब भी मालकिन के हंटर का इंतजार था |ये क्या घाल मेल हे देश की जनता समझ नहीं पा रही ?देश को दिखने तो ये बाबूजी चला रहे लेकिन केवल और केवल दिखने में |इसे यों कहे तो की सत्ता का शीर्ष के पास जिम्मेदारी कुछ नहीं लेकिन अधिकार पूरे हे |बाबूजी तो केवल श्याने बैल हे |

Saturday, December 11, 2010

कांग्रेस का कसाब बचावो अभियान शुरू !

इन दिनों सोनिया गाँधी का पालतू ओरंगजेबी नस्ल का सीयार दिग्विजय "''सिंह ?"'ज्यादा हुआ हुआ कर रहा हे |इधर सोनिया ने इशारे में कुछ कहा और उधर ये असमान की और मूह करके अपने असली रंग में जाता हे जिसे इसके "'सिंह"' होने का फर्जी चोला उतर जाता हे |महाभरसटाचार के गटर में सनी यु.पि. सरकार और कांग्रेस अब भी सबक नही ले रही हे बिहार में बिहारी मतदातावो दुवारा किये गए रेप से ?अनगर्ल और उलूल जूलूल बयान दिलवाए जा रहे हे इन ओरंग्जेबी सियारी भोंपूवो से |सोनिया गाँधी के पाल्तूवो में ये ओरंग्जेबी सियार ज्यादा नजदीक हे ,अपनी नस्ल के"' कसा बचावो "' अभियान का जिमा इसी डुप्लीकेट सिंह को सोपा गया हे ,मुस्लिम वोटो को अपनी झोली में डालने के लिए कसाब को बचाने की कांग्रेसी मुहीम वापस शुरू हो गयी हे |

आम मुस्लिम का कांग्रेस से मोह भंग हो गया वो इसके दोगले पने को पहचान गया हे , शेत्रिय पार्टिया मुस्लिम वोटो को निंगल चूकी हे ,जिस तरह २००२ संसद पर हमले के फांसी घोषित अपराधी को सरकारी दामाद बना के मुस्लिम प्रेमी होने का छदम भ्र मुसलमानों में फेलाया गया और इसमें इसे थोड़ी सफलता भी मिली उसी से प्रेरित हो के ये खेल पुन खेला जारहा हे | उधर भरसटाचार के मुद्दे पे विपक्ष दुआरा की जा रही यु.पि. की "'नथ उतराई "'से बचने के लिए लिए भी और पब्लिक का उसकी और से इन मुद्दों पर से ध्यान हटाने के हटाने के लिए इस ओरंग्जेबी नस्ली सियार ने फिर भोकना शुरू कर दिया की "'''26/११ मुंबई हमले से पहले हेमंत करकरे ने उसे फोन पे कहा की हिन्दू संघटनों से उसकी जान को खतरा हे "'' ?इसकी इस झूटी हुआ हुआ की हवा दिवंगत करकरे की पत्नी तुरंत निकाल दी की शेर की खाल में छूपा ये सियार झूंट बोल रहा हे ,मेरे पति ने कभी इसका जिक्र नहीं किया ,बल्की मेरे पती की हत्या पाकिस्तानी आतंकवादियों ने की थी |

अब इस ड्रामेबाजी में ये ओरंग्जेबी सियासी और सियारी भोंपू तो केवल बजता हे ,असली केसेट लगी हुई हुई डेक मशीन तो दूसरी ही हे ,इटालियन ब्रांडेड और केवल वेटिकन प्रोस्टेट केसेट चलाने वाली इस मशीन का प्रोपगेंडा जब इसकी सास खुद इंदिरा और खुद इसका पति स्वर्गीय राजीव गाँधी ही नहीं समझ सका तो ,एक खानदान ये पालतू pet कांग्रेसी क्या सम्न्झेगे ?दरअसल हिन्दू और उनका धर्म इस लिए बाकी सभी विशव की तरह तरह ki इंसानी प्रजातियों के इस लिए आँखों में खटकते हे की ये धर्म से भी बढ़ कर एक जीवन पद्दती हे और सनातन हे |
इसी झूंटी सियासत के चलते अब कुख्यात और पाकिस्तानी जंगली भेडिये कसाब को बचाने का षड्यंत्र शुरू हो चूका हे ,एक ही उद्देश्य की केसे हिन्दू मुस्लिम ,हिन्दू मुस्लिम खेल खेला जाये जिस में ये अंग विहीन हींजड़ी कांग्रेस नेहरु के समय से ही इसी में माहिर हे |दिग्विजय सियार का बयान के कई मायनो के इतर मुख्य उदेश्य हे की भारतीय समाज इस भावना को जिन्दा रखा जाये की अधीसंख्य हिन्दू ,मुस्लिम विरोधी हे |जबकि उन्हें गुजरात की शांती हमेशा सताती रहती हे ,वंहा की शांति कांग्रेस को कांग्रेसी हिन्दू विरोधी विचारधारा की मोत लगती हे |गुजरात राज्य और समाज की विचार धारा आने वाले समय में पूरे भारत रास्ट्र का प्रतिनिधित्व करेगी |
इन्ही बातो से घबरा के ये वर्तमान सियासी शीर्सथ लोमड़ी ,ये विभिन्न मिली जुली जाती के वर्ण संकर सियार ,और नयी जमात तेयार करते ये संस्कर्ती ज्ञान विहीन जंगली शवान ,मिल जुल के भारतीय संस्कर्ती को ख़त्म करने की सजीशो के तह भारतीय अस्मीथा और गेरत पर हमला करने वाले मोह्माद कसाब को बचाने की मुहिम शुरू हो गयी हे |
इस से २६/११ के मामले पाकिस्तान के खिलाफ भारत कमजोर पड़ेगा आप और में सभी जानते हे लेकिन कांग्रेस अब भी भारतीय समाज और मतदातावो को उन्ही पचासों सालो पहले के तोर तरीको और कूपर्यासो दुवारा बरगलाने का की कोशीश कर रही हे जो की ताजुब की बात हे ,जबकि मतदाता अपना दांये पैर का जूता खोल के बेठा हे |वो कहते हे ने की सियार की मोत आती हे तो गाँव की तरफ मूह करता हे ,ये ही इस सनातनी भारतीय इतिहास की एक छोटे से जंगली रास्ट्र विरोधी घातक गिरोह के साथ होने वाला हे|